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सज्जन्ता का दण्ड
 


किया था। यही कारण था कि वह अपने मातहतोंके साथ बङी नरमी का व्यवहार करते थे। लेकिन सरलता और शालीनताका आत्मिक गौरव चाहे जो हो, उनका आर्थिक मोल बहुत कम है। वे बोले, तुम्हारी बातें सब यथार्थ है, किन्तु मैं विवश हूँ। अपने नियमों को कैसे तोड़ू? यदि मेरा वश चले तो मैं उन लोगों का चेतन बढ़ा दूँ। लेकिन यह नहीं हो सकता कि मैं खुद लूट मचाऊ और उन्हें लूटने दूं।

रामा ने व्यंग्यपूर्ण शब्दोंमें कहा, तो यह हत्या किसपर पड़ेगी? सरदार साहबने तीखे होकर उत्तर दिवा, यह उन लोगोंपर पड़ेगी जो अपनी हैसियत और आमदनी से अधिक खर्च करना चाहते हैं। अरदली धनकर क्यों वकील के लड़के से लड़की व्याहने की ठानते हैं। दफ्तरीको यदि टहलुवेकी जरूरत हो तो यह किसी पाप-कार्य से कम नहीं। मेरे साईस की स्त्री अगर चाँदीकी सिल गलेमें डालना चाहे तो यह उसकी मूर्खता है। इस झूठी बड़ाई का उत्तरदाता मैं नहीं हो सकता।

इन्जिनियरों का ठेकेदारो से कुछ वैसा ही सम्बन्ध है जैसा मधुमक्खियों का फूलों से। अगर वे अपने नियत भाग से अधिक पाने की चेष्टा न करें तो उनसे किसी को शिकायत नहीं हो सकती। यह मधु रस कमीशन कहलाता है। रिश्वत और कमीशन में बडा अन्तर है। रिश्वत लोक और परलोक दोनों का ही सर्वनाश कर देती है। उसमें भय है, चोरी है, बदमाशी है। मगर कमीशन एक मनोहर वाटिका है, जहां न मनुष्यका डर है, न पर—