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६ १९९२ ) ऐया-जैसे, काटना-कटैया, नाना-नचैया, परोसना-परोसैया सार -सरैया । ऐत--जैसे, लडना--लडैत, चढ़ना----चद्वैत । ओड़ा आजैसे,भाराला-गोड,हँसना-हँसोड़ा,चाटना-चटोरा } क-जैसे, मारा-मारक, बालना-बालक । इ-जैसे, काटना--- फटहा, मारना----मरका ।। १ ख } भाववाचक संज्ञाएँ अंत-जैसे, पढ़ना-दंत, दिपटना-लिपटत, लड़ना--लडूंत, पटना----रटंत । । इस प्रत्यय के योग से बहुधा भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं; जैते, घेरना-घेरा, फेरन:--. फेरा, जोड़ना--जोड़ा । | ( अ ) इस प्रत्यय के लगाने के पूर्व किसी किसी धातु के उपाय स्वर में गुण होता है; जैसे, मिलना-ला, टूटना-टोटा, झूलना--- झूला, ठेलना-ठेला, घेरना-घेरा । । आई--इस प्रत्यय से भाववाचक,सज्ञाएँ बनती हैं जिनसे (१) क्रिया के व्यापार (२) क्रिया के कामो का बोध होता है । जैसे---- ( १ ) लड़ना-लड़ाई, समाना-रोहित साव27 (talk)-समाई, चढ़ना-चढ़ाई। | १ २ ) लिखा-~~-लिखाई, पिसना --- पिसाई ।। ( सूचना से अवाई और बाना से जवाई भाववाचक संज्ञाएँ क्रिया के व्यवहार के अर्थ में बनती हैं । ) अन----जैसे, उठना---उदान, उड़ना---उड़ान । अप-जैसे, मिलना-मिलाप, जलना-जलापा, पूजना---पुजापा,


जैसे, चढ़ना-~-चढाव, बचना-बचाव, बहना -- बहाव,

लग्नाला ।। आवट-जैसे, लिखना-लिखावट, थकना---थकावट, रुकना--- कावट, बनना-बनावट, सजना-सजावट ।