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क्रूसो के अनुपस्थित-समय का इतिहास।


किन्तु वे लोग अपने संकल्प पर दृढ़ थे। उन्होंने कहा कि हम लोग यहाँ भी भूखों ही मरेंगे। कारण यह कि हम लोग परिश्रम करके अपनी जीविका नहीं चला सकते। बिना श्रम के रोटी पैदा करना कठिन है। इसलिए जब मरना ही होगा तब एक बार साहस करके विदेश को देख-सुन कर ही मरेंगे। यदि विदेशीय असभ्य हम लोगों को मार डालेगे तो सब बखेड़ा तय हो जायगा। हम लोगों के न स्त्री है न बाल-बच्च, जो शोकाकुल होकर रोयें-कलपेंगे। आप लोग अस्त्र दें या न दें, हम लोग ज़रूर जायँगे।

तब स्पेनियर्डों ने उन लोगों को अपनी सामान्य पूँजी में से दो बन्दूक़ें, एक पिस्तौल, एक तलवार और थोड़ी सी गोली-बारूद दी। उन लोगों ने एक महीने के लायक भोजन साथ रख लिया। थोड़ा सा मांस, एक जीवित बकरा, एक टोकरी सूखे अंगूर और एक घड़े भर जल लेकर समुद्र-यात्रा की। समुद्र का दूसरा तट कम से कम चालीस मील पर होगा। स्पेनियर्डों ने उन को बिदा करके एक तरह से अपनी बला को टाल दिया। उन अँगरेज़ों से दुबारा भेंट होने की आशा किसी को न थी। उनके जाने से सभी निश्चिन्त हुए।

उन लोगों के चले जाने पर स्पेनियर्ड-लोग आपस में कहने लगे,-"उन पाखण्डियों के चले जाने से हम लोगों का समय अब बड़े आराम और आनन्द से कटेगा। आफ़त टली।" किन्तु वास्तव में उन लोगों की आफ़त टली न थी। बाईस दिन के बाद एक व्यक्ति ने देखा कि तीन आदमी टापू में आये हैं। उनके कन्धे पर बन्दूक़ें हैं। वह गिरता पड़ता हाँफता हुआ सर्दार के पास दौड़ कर आया और