सुन लेंगे। यह काम बन्दूक के कुन्दे और तलवार से लेना ही ठीक होगा।
जिस बात की आशङ्का थी वही हुई। तीन पराजित असभ्य भाग कर उपवाटिका में आ छिपे। पर उन लोगों को खोजने कोई न आया। यह देख कर स्पेनियर्ड कप्तान ने कहा-"इन्हें मत मारो। ये लोग मरने ही के भय से तो यहाँ भाग कर आ छिपे हैं। गुप्त रीति से तुम लोग इन पर आक्रमण करो और इन्हें गिरफ्तार करके ले आओ।" दयालु कप्तान की आज्ञा के अनुसार ही काम हुआ। अवशिष्ट पराजित असभ्य अपनी डोंगी पर सवार हो कर समुद्र पार चले गये। विजयी दल भी विजय के उल्लास से दो बार खूब ज़ोर से गरजा और दिन को पिछले पहर चला गया। इसके बाद इस द्वीप में स्पेनियर्ड लोगों का ही एकाधिपत्य हुआ। असभ्य लोग कई वर्ष तक इस द्वीप में फिर न आये।
उन असभ्यों के चले जाने पर स्पेनियर्ड लोग किले से निकल कर रणभूमि देखने गये। देखा, बत्तीस आदमी युद्धक्षेत्र में मरे पड़े हैं। उनमें एक भी व्यक्ति घायल न था। घायलों को वे लोग अपने साथ उठा ले गये थे।
यह मामला देख-सुन कर वे अँगरेज़ कई दिनों तक कुछ शान्तभाव धारण किये रहे। मनुष्य को मनुष्य खालेता है, इस अद्भुत व्यापार ने उनके मन में भय उत्पन्न कर दिया था। पर कुछ ही दिनों में उनका क्रूरस्वभाव फिर प्रबल हो उठा।
वे इन तीनों बन्दियों से नौकर का काम लेने लगे। किन्तु मैंने जिस तरह फ़्राइडे को शिक्षा देकर एकदम अपना अङ्ग बना लिया था वैसा वे लोग न कर सके। धर्म-शिक्षा तो दूर