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द्वीप में पुनरागमन।


पड़ी सब सुनने लगी। इसके बाद आप हमारे उद्धार के लिए आ गये।"

मैंने भूख से मर जाने का ऐसा वर्णन आज तक न सुना था और न ऐसा भयङ्कर दृश्य ही इसके पूर्व कभी देखा था। उस युवक ने भी ऐसे ही अपने ऊपर बीती कितनी ही बाते कहीं, किन्तु उसे थोड़ा थोड़ा आहार मिलता गया था, इससे उसका वर्णन वैसा लोमहर्षण न हुआ जैसा उस दासी का था।



द्वीप में पुनरागमन

हम लोग रास्ते में तूफ़ान और बादल के साथ लड़ते-झगड़ते १६९५ ईसवी की १० एप्रिल को अपने पुराने आवासद्वीप के निकट पहुँचे। ढूँढ़ने पर बड़ी कठिनता से अपने पूर्वपरिचित मित्रों से भेट हुई। द्वीप के दक्खिन ओर अपने घर के पास ही, खाड़ी के सामने, हमने जहाज़ का लंगर डाला।

मैंने फ़्राइडे से पुकार कर कहा-"तुम बतला सकते हो कि वह कौन सी जगह है?" वह उस ओर देखते ही ताली बजा कर नाच उठा, "हाँ हाँ, यह वही जगह है" यह कह कर वह पागल की भाँति हाथ-मुँह मटकाने लगा। वह जहाज़ से कूद कर, समुद्र तैर कर ही, किनारे जाने को प्रस्तुत हुआ। किन्तु हमने उसे रोक रक्खा।

मैंने फ़्राइडे से पूछा-"अच्छा बतलाओ तो, तुम क्या सोचते हो। यहाँ हम लोग किसीको देख पावेंगे या नहीं? क्या तुम्हारे बाप से भेंट होगी?" वह कुछ देर चित्रवत्