पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/२५६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२३३
जीवन-वृत्तान्त के प्रथम अध्याय का उपसंहार।


मैं यह न समझ सका कि फ़्राइडे ने इसमें हँसाने की कौन सी बात सोच रक्खी है, बल्कि यह उसने मूर्खता का काम किया है जो पेड़ पर चढ़ कर अपने भागने का रास्ता भी बन्द कर लिया।

हम लोग घोड़े पर चढ़े हुए पेड़ के नीचे जाकर देखने लगे। फ्राइडे एक डाल की फुनगी पर जा बैठा और भालू डाल के बीच में पहुँच गया। भालू को धीरे धीरे पतली डाल पर आते देख फ़्राइडे ने कहा-'हाँ, चले आओ, इस बार तुम्हें नाच करना सिखलाता हूँ।" यह कह कर वह खूब ज़ोर से डाल हिलाने लगा। तब भालू भी उसके साथ झूलने लगा और थर थर काँपता हुआ पीछे की ओर भागने का उपाय ढूँढने लगा। यह देख कर हम लोग खूब हँसे। भालू को अब अग्रसर होते न देख फ़्राइडे ने शाखा का झकझोरना बन्द किया। फिर वह भालू से कहने लगा, "आओ, आओ, रुक क्यों रहे?" इस प्रकार उसे पुकारने लगा, जैसे वह उसको बात समझता हो। भालू ने उसकी बात सुनी। फ़्राइडे को स्थिर होकर बैठते देख भालू फिर आगे बढ़ चला। तब फ़्राइडे फिर ज़ोर से डाल हिलाने लगा। डाल हिलते ही फिर भालू ठहर गया। पतली डाल पर खड़ा होकर वह काँपने लगा। हम लोग उसकी दशा देख कर हँसने लगे। फ्राइडे ने कहा, "अच्छा, यदि तुम नहीं आते तो मैं ही आता हूँ।" यह कह कर वह शाखा के अग्र-भाग को नवा कर नीचे कूद पड़ा। अपने शत्रु को जाते देख भालू एक बार पीछे की ओर देखता और एक पग पीछे हटता था। इस प्रकार धीरे धीरे नीचे की ओर हटते हटते वह तने के पास आ पहुँचा।। अब वह धरती की ओर देख कर नीचे उतरना ही चाहता था