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जीवन-वृत्तान्त के प्रथम अध्याय का उपसंहार।


गया और दो भेड़िये भाग कर जङ्गल में जा घुसे। उन के आक्रमण से घोड़े को तो कुछ नुकसान न हुआ किन्तु पथप्रदर्शक के हाथ और घुटनों में ज़ख्म होगया। भेड़िये ने उसको नोच लिया था।

भेड़िये को मार कर फ़्राइडे ने भालू पर आक्रमण किया। हम लोग फ़्राइडे का यह दुःसाहस देख कर डर गये किन्तु उसका विचित्र कौतुक देख कर हम लोग बहुत खुश हुए। भालू बहुत स्थूल और भारी होते हैं, इससे वे सहज ही मनुष्य पर हमला करने का साहस नहीं कर सकते। वह बहुत भूखा न हो तो मनुष्य पर हमला नहीं करता। यदि उसके साथ कुछ छेड़-छाड़ न की जाय और उसकी राह न रोकी जाय तो वह बुरे तौर से पेश न पा कर चुपचाप चला जाता है। किन्तु वह ऐसा हठीला होता है कि जङ्गल के महाराज के लिए भी राह छोड़ कर अलग खड़ा नहीं हो सकता। यदि भालू को देख कर डर लगे तो उसकी ओर न देख कर दबे पाँव दूसरी ओर चला जाना अच्छा है। किन्तु एक जगह खड़े हो कर उसकी ओर ताकने से वह अपने मन में शायद यही समझता है कि यह मेरे साथ गुस्ताख़ी की जाती है तब वह अपनी मर्यादा को बचाने के लिए क्रुद्ध हो कर दुश्मन का पीछा करता है। एक बार किसी तरह चिढ़ जाने पर जब तक वह दुश्मन से बदला नहीं ले लेता तब तक दिन-रात उसके पीछे पीछे घूमता रहता है। हम लोग भालू को देख कर भयभीत हुए। इतना बड़ा भालू कभी नहीं देखा था। किन्तु फ़्राइडे भालू से ज़रा भी न डरा। साहस और उत्साह से उसका चेहरा प्रफुल्लित हो उठा। उसने कहा, "ओ भालू! आओ, आओ, एक बार तुमसे हाथ मिला लूँ।" मैंने उसका यह