पृष्ठ:राबिन्सन-क्रूसो.djvu/२२३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०२
राबिन्सन क्रूसो।


देख मेरा लोहू सर्द हो गया। मैं सोचने लगा कि इस समय यदि स्पेनियर्ड और फ्राइडे के बाप यहाँ रहते तो अच्छा होता। फिर देखा कि वे लोग तीनों बन्दियों को छोड़ कर टापू देखने के लिए भिन्न भिन्न दिशा में चले गये। तीनों बन्दी हताश हो कर वहीं बैठ गये। इन लोगों की दशा देख कर मुझे इस द्वीप में आने के प्रथम दिन की अवस्था का स्मरण हो गया। जैसे मैं नहीं जानता था कि मुझ पर बिना कुछ प्रकट किये विधाता मेरे लिए कैसा क्या इन्तजाम करते हैं वैसे ही दुख के सारे ये बेचारे भी नहीं जानते कि उन लोगों के लिए अचिन्तित भाव से ईश्वर मेरे द्वारा रक्षा का उपाय कर रहे हैं। हम लोग इसी तरह भविष्य के अन्धकार-मय पथ में बिना देखे-सुने विधाता के मङ्गल-विधान में सन्देह करते हैं और अविश्वास के कारण हताश बने रहते हैं।

ठीक ज्वार आने पर वे लोग किनारे आये और बेखबर हो कर टापू देखने की इच्छा से इधर उधर घूमने लगे। अभी घुम ही रहे थे कि इतने में पानी घट जाने से उनकी किश्ती सूखे में पड़ी रह गई। उसमें दो आदमी थे किन्तु वे दोनों से गये थे। एक आदमी एकाएक जाग उठा और नाव के सूखे में देख भैचक सा हो रहा। फिर सँभल कर उसने भ्रमणकारियेां को खुब जोर से चिल्ला कर पुकारा। थोड़ी ही देर में सभी लौट पड़े। किन्तु वहाँ दल-दल थी और किश्ती खुब भारी थी इससे वे लोग उसे ठेल कर पानी में न ले जा सके। तब हार कर वे लोग फिर घूमने चले गये। मैंने समझा कि अब दस घंटे के पहिले यह किश्ती हिल डोल न सकेगी। तब तक अँधेरा हो आवेगा। इतना समय पाकर मैं युद्ध का सामान ठीक करने लगा।