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अतिथि-सेवा।

अतिथि-सेवा

स्पेनियर्ड और फ़्राइडे के पिता को उठा कर हम लोग अपने पहले घेरे के भीतर तो ले आये। अब देखा कि दूसरे घेरे को लाँघ कर उनको भीतर ले जाना कठिन है। घेरा काट डालने को भी जी नहीं चाहता था। तब मैंने फ़्राइडे की सहायता से शीघ्र ही एक झोपड़ा तैयार किया। उसके ऊपर डाल-पात का छप्पर कर दिया। भीतर पयाल पर कम्बल बिछा कर दो बिछौने कर दिये।

फिर आसन्न मृत्यु के मुख से रक्षा प्राप्त इन दोनों दुर्बल व्यक्तियों के आश्रय और आराम की व्यवस्था कर के मैं उनके खान-पान का प्रबन्ध करने लगा। फ़्राइडे को एक बकरा काटने की आज्ञा दी। आज्ञा पाते ही उसने बकरे को काट-बना कर उसका माँस पका दिया। फ़्राइडे के हाथ का बना खाना बहुत साफ़ सुथरा और स्वादिष्ट होता था। मैंने नये तम्बू में टेबल पर खाने की सामग्री को भली भाँति सजा कर सब के साथ बैठ कर भोजन किया और भोजन करते करते उन दोनों अतिथियों को आश्वासन दिया। फ़्राइडे दुभाषिया बन कर मेरी बातें अपने बाप तथा स्पेनियर्ड को समझा देता था। स्पेनियर्ड उस असभ्य भाषा में भली भाँति बातें कर सकता था।

खाने-पीने के बाद मैंने फ़्राइडे से कहा कि युद्ध-क्षेत्र में मेरी बन्दूक़ें आदि जो चीजें पड़ी हों उन्हें तुम एक नाव ले जाकर उठा लाओ।" उसके दूसरे दिन उसी के द्वारा कुल मुर्दोंको मिट्टी में गड़वा दिया। कारण यह कि बाहर उन्हें यों हीं छोड़ देने से इस द्वीप में रहना कठिन हो जाता। उसने