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राबिन्सन क्रूसो।

फ़्राइडे-यदि आप चलें तो मैं भी आपके साथ साथ जाऊँगा।

मैं-अरे! मैं चलूँ? ऐसा होने से तो वे लोग मिल कर मुझे खा ही डालेंगे।

फ़्राइडे-नहीं, नहीं, आप ऐसा न समझें। मैं उन लोगों से आप की दया और अपने ऊपर उपकार की बात कहूँगा। उन लोगों को श्रद्धा-भक्ति करना सिखलाऊँगा। मेरे देश में जो अभी सत्रह गौराङ्ग विद्यमान हैं उनसे तो कोई किसी तरह की छेड़-छाड़ नहीं करता।

अब मेरे मन में यह धुन समाई कि समुद्रपार होकर उन सत्रह यूरोपवासियों के साथ किसी तरह भेंट करनी चाहिए। उन लोगों के साथ सम्मिलित होने की वासना प्रबल हो उठी। मैंने फ़्राइडे को ले जाकर अपनी डोंगी दिखलाई। हम दोनों उस पर सवार हुए। देखा, फ़्राइडे नाव खेने में पूरा उस्ताद है। मैंने कहा है-"फ़्राइडे, चलो तुम्हारे देश को चलूँ।" फ़्राइडे गम्भीर भाव धारण कर चुप हो रहा। उसका अर्थ मैंने यही समझा कि इतनी छोटी डोंगी से समुद्रयात्रा करने का उसे साहस नहीं होता। मैंने कहा,-"मेरे पास एक और बड़ी नाव है।" दूसरे दिन उसको वह नाव दिखाने के लिए ले गया। देख कर उसने कहा-हाँ, यह नाव बेशक बड़ी है। किन्तु बाईस-तेईस वर्ष से बे हिफ़ाज़त यों ही पड़ी रहने से सड़ गल गई है।

तब मैंने एक और बड़ी डोंगी बनाने का संकल्प किया। मैंने कहा, "आओ, फ़्राइडे, मैं तुम्हारे देश जाने का प्रबन्ध कर दूँ।" फ़्राइडे बड़ी अप्रसन्नता और अनुत्साह के साथ बोला-