पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१७०

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कालनिशा कालनिशा - संज्ञा स्त्री० १. दिवाली की रात । २. अँधेरी भयावनी रात | कालपाश-संज्ञा पुं० यमपाश । कालपुरुष - संज्ञा पुं० १. ईश्वर का विराट रूप । २. काल । कालबंजर -संज्ञा पुं० वह भूमि जो बहुत दिनों से बाई न गई हो । कालबूत - संज्ञा पुं० चमारों का वह काठ का सांचा जिस पर चढ़ाकर वे जूता सीते हैं । कालभैरव - संज्ञा पुं० शिव के मुख्य गणों में से एक । कालयापन - संज्ञा पुं० दिन काटना । कालराति-संज्ञा स्त्री० दे० "काल- रात्रि" । कालरात्रि - संज्ञा स्त्रो० १. अँधेरी और भयावनी रात । २. प्रलय की रात । ३. मृत्यु की रात्रि । ४. दिवाली की श्रमावास्या । कालवाचक, कालवाची - वि० समय का ज्ञान करानेवाला । काला - वि० [स्त्री० काली ] १. स्याह । २. बुरा । काला कलूटा - वि० बहुत काला । कालाक्षरी - वि० अत्यंत विद्वान् । कालाग्नि-संज्ञा पुं० प्रलयकाल की अग्नि । काला चोर -संज्ञा पुं० १. बहुत भारी चोर । २. बुरे से बुरा आदमी । कालातीत - वि० जिसका समय बीत गया हो । काळा नमक - संज्ञा पुं० सज्जी के योग से बना हुआ एक प्रकार का पाचक लवण | काला पहाड़ - संज्ञा पुं० बहुत भारी और भयानक | १६२ कालीदह कालापानी - संज्ञा पुं० १. देश-निकाले का दंड । २. ऍडमन और निकोबार भादि द्वीप जहाँ देश निकाले के कैदी भेजे जाते हैं । ३. शराब । कालाभुजंग - वि० बहुत काला । कालिंग - वि० कलिंग देश का । संज्ञा पुं० १. कलिंग देश का निवासी । २. हाथी । ३. सप । कालिंदी-संज्ञा स्त्री० १. कखिद पर्वत से निकली हुई, यमुना नदी । २. एक वैष्णव संप्रदाय । कालि* - क्रि०वि० दे० "कल" । कालिक - वि० समय-संबंधी । कालिका -संज्ञा स्त्री० १. काली । २. कालापन | ३. मेघ । ४. मदिरा । कालिकापुराण - संज्ञा पुं० एक उप- पुराण जिसमें कालिका देवी के माहात्म्य आदि का वर्णन है । कालि काला - क्रि० वि० कदाचित् । कालिख - संज्ञा स्त्री० स्याही | क़ालिब - संज्ञा पुं० १. टीन या लकड़ी का गोल ढांचा जिस पर चढ़ाकर टोपिय दुरुस्त की जाती हैं । २. शरीर । कालिमा-संज्ञा स्त्री० १. कालापन । २. अँधेरा । काली-संज्ञा बी० पार्वती । काली घटा -संज्ञा स्त्री० बादलों का समूह । काली जीरी-संज्ञा श्री० एक औषधि जो एक पेड़ की बोंड़ी के मालदार बीज हैं। कालीदह - संज्ञा पुं० वृंदावन में यमुना का एक दह या कुंड जिसमें काबी नामक लाग रहा करता था । १. दुर्गा । २. घने काले