पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१६८

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कामसखा समागम आदि के व्यवहारों का वर्णन हो । कामसखा - संज्ञा पुं० वसंत । कामाक्षी - संज्ञा स्त्री० तंत्र के अनुसार देवी की एक मूर्त्ति । कामातुर - वि० काम के वेग से व्याकुल । कामिनी-संज्ञा स्त्री० १. कामवती स्त्री । २. मदिरा । कामी - वि० [स्त्री० कामिनी] १. कामना रखनेवाला । २. विषयी । कामुक - वि० [बी० कामुका] १. इच्छा करनेवाला | चाहनेवाला । २. [स्त्री० कामुक ] विषयी | कामोद्दीपक- वि० जिससे मनुष्य को सहवास की इच्छा अधिक हो । कामोद्दीपन - संज्ञा पुं० सहवास की इच्छा का उत्तेजन । काम्य - वि० १. जिसकी इच्छा हो । २. जिससे कामना की सिद्धि हो । संज्ञा पुं० वह यज्ञ या कर्म्म जो किसी कामना की सिद्धि के लिये किया जाय । काय - संज्ञा स्त्री० शरीर । कायथ - संज्ञा पुं० दे० " कायस्थ" । कायदा -संज्ञा पुं० नियम । कायम - वि० ठहरा हुआ । कायम मुकाम - वि० एवजी । कायर - वि० डरपोक । कायरता - संज्ञा स्त्री : डरपोकपन । कायल - वि० कुबूत करनेवाला । कायस्थ - वि० काय में स्थित । संज्ञा पुं० एक जाति का नाम । काया - संज्ञा स्त्री० शरीर । कायाकल्प - संज्ञा पुं० औषध के प्रभाव १६० से वृद्ध शरीर को पुनः लक्ष्य और सशक्त करने की क्रिया । काया पलट-संज्ञा श्री ० भारी हेर-फेर । कायिक- वि० सुरीर संबंधी । कारंड, कारंडव - संज्ञा पुं० हंस या बत्तख़ की जाति का एक पक्षी । कार-संज्ञा पुं० १. क्रिया । २. बनाने- वाला । संज्ञा पुं० कार्य्यं । वि० दे० "काला" । कारक - वि० [स्त्री० कारिका ] करनेवाला । सज्ञा पु० व्याकरण में संज्ञा या सर्व- नाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा किसी वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है । कारखाना -संज्ञा पुं० १. वह स्थान जहाँ व्यापार के लिये कोई वस्तु बनाई जाती है । २. व्यवसाय । कारगर - वि० १. प्रभावजनक । २. रुपयेगी । कारगुज़ार - वि० [ संज्ञा कारगुजारी ] अपना कतव्य अच्छी तरह पूरा करने- वाजा । कारगुज़ारी-संज्ञा स्त्री० कसंम्यपालन । कारचोब - संज्ञा पुं० [वि० संज्ञा कारचोगी ] कसीदे का काम करनेवाला । कारचोबी - वि० ज़रदोड़ी का । संज्ञा स्त्री० ज़रदोड़ी। कारज + - संज्ञा पुं० दे० "का" । कारण- संज्ञा पुं० वजह । कारतूस - संज्ञा पुं० गोली-बारूद भरी एक नली जिसे टोंटेवाली और रिवाक्ष- वर बंदूकों में भरकर चलाते हैं कारन - संज्ञा पुं० दे० "कार" । संज्ञा की० करुण स्वर । 1