पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१६४

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कांदना कौंदना t - क्रि० प्र० रोना । कांदा - संज्ञा पुं० एक गुल्म जिसमें प्याज़ की तरह गाँठ पड़ती है। कोदो + संज्ञा पुं० कीचड़ । काँधी-संज्ञा पुं० दे० "कंधा" । काँधना - क्रि० स० उठाना । काँधर, कांधा] - संज्ञा “कान्ह” । पुं० दे० काँप - संज्ञा स्त्री० बाँस आदि की पतली लचीली तीली । काँपना- क्रि० ६० अ० हिलना । कांबोज - वि० कंबोज देश का । काँ काँय, काँ काँच - संज्ञा पुं० १. कौवे का शब्द । २. व्यर्थ का शोर । काँवर-संज्ञा स्त्री० बहँगी । काँवरा + - वि० घबराया हुआ । काँवरिया - संज्ञा पुं० काँवर लेकर चलनेवाला तीर्थयात्री | काँघरू - संज्ञा पुं० दे० "कामरूप" । काँस - संज्ञा पुं० एक प्रकार की लंबी घास । काँसा - संज्ञा पुं० [वि० काँसी ] कस- कुट | काँसागर - संज्ञा पुं० काँसे का काम करनेवाला | कांस्य - संज्ञा पुं० कांसा । का - प्रत्य० संबंध या षष्ठी का चिह्न । काई-संज्ञा स्त्री० १. जल या सीड़ में होनेवाली एक प्रकार की महीन घास या सूक्ष्म वनस्पति-जाल । २. मल । काऊ+- क्रि० वि० कभी । सर्व कोई । ० काक-संज्ञा पुं० कौना । संज्ञा पुं० काग । १५६ कागज़ात की पुतली, जो एक ही दोनों आँखों मैं घूमती हुई कही जाती है । काकदंत - संज्ञा पुं० कोई असंभव बात । काकबंध्या-संज्ञा स्त्री० वह स्त्री जिसे एक संतति के उपरांत दूसरी न हुई हो । काकबलि - संज्ञा स्त्री० श्राद्ध के समय भोजन का वह भाग जो कौमों को दिया जाता है । काकभुशु डि-संज्ञा पुं० एक ब्राह्मण जो लोमश के शाप से कौश्रा हो गए थे और राम के बड़े भक्त थे । काकरी - संज्ञा स्त्री० दे० " कंकड़ी" । काकरेजा - संज्ञा पुं० काकरेजी रंग का कपड़ा । काकरेजी - संज्ञा पुं० एक रंग जो लाल और काले के मेल से बनता है । कोकची । वि० काकरेजी रंग का । काका - संज्ञा पुं० [स्त्री० काकी] चाचा । काकाक्षिगोलक न्याय - संज्ञा पुं० एक. शब्द या वाक्य को उलट-फेरकर दो भिन्न भिन्न अर्थों में लगाना । काकी - संज्ञा श्री० कौए की मादा । संज्ञा स्त्री० [हिं० काका ] चाची । चची | काकु - संज्ञा पुं० व्यंग्य | काकुल- संग पुं० जल्फ़ । काग - संज्ञा पुं० कौना । संज्ञा पुं० बोतल या शीशी की डाट जो इस पेड़ की छाल से बनती है । कागज - संज्ञा पुं० [वि० काराशी ] १. सन, रूई, पटुए आदि को सड़ाकर बनाया हुआ महीन पत्र जिस पर अक्षर लिखे या छापे जाते हैं । २. दस्तावेज़ । ३. समाचारपत्र । काक- गोलक - संज्ञा पुं० कौवे की आँख कागज्ञात-संज्ञा पुं० काग़ज़ पन्न ।