पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१५३

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वि० डरावनी । कराव, करावा-संज्ञा पुं० एक प्रकार का विवाह या सगाई । कराह -संज्ञा पुं० कराहने का शब्द । पीड़ा का शब्द ।

  • संज्ञा पुं० दे० "कढ़ाह" । कराहना- क्रि० भ० व्यथासूचक शब्द मुँह से निकालना । श्रह ह

करना । कारद - संज्ञा पुं० १. उत्तम या बड़ा हाथी । २. ऐरावत हाथी । करि-संज्ञा पुं० हाथी । करिखा-संज्ञा पुं० दे० " का लिख" । करिणी - संज्ञा स्त्री० हथिनी । करिया - संज्ञा पुं० १. पतवार । २. मछाह ।

  • + वि० काला । श्याम । करिल - संज्ञा पुं० कोंपल । वि० काला । करिवदन - संज्ञा पुं० गणेश । करिहवि -संज्ञा स्त्री० कमर । करी - संज्ञा पुं० हाथी । संज्ञा स्त्री० कड़ी ।
  • १. कली । २. पंद्रह मात्राओं का एक छंद ।

करीना-संज्ञा पुं० दे० "केराना" । करीना-संज्ञा पुं० ढंग । करीब क्रि० वि० समीप । करीम - वि० कृपालु । संज्ञा पुं० ईश्वर | करीर - संज्ञा पुं० १. बस का नया कला । २. करील का पेड़ । ३. घड़ा । करील - संज्ञा पुं० एक कँटीली झाड़ी जिसमें पत्तियाँ नहीं होतीं । करीश-संज्ञा पुं० गजराज । १४५ जंगलों में मिलता है । करैव करुया - वि० दे० "कडा" । करुनाई - संज्ञा स्त्री० दे० " कडुआ- पन" । करुण - संज्ञा पुं० १. दे० " करुणा" । ( यह काव्य के नौ रसों में से है ।) २. एक बुद्ध का नाम । ३. परमेश्वर । वि० करुणायुक्त | करुणा - संज्ञा स्त्री० १. दया । २. शोक । करुणादृष्टि-- संज्ञा स्त्री० दयादृष्टि । करुणानिधान, करुणानिधि - वि० जिसका हृदय करुणा से भरा हो । बहुत बड़ा दयालु । करुणामय - वि० बहुत दयावान् । करुना संज्ञा स्त्री० दे० "करुणा" । करुर-वि० “कडुआ । करुवा - संज्ञा पुं० दे० " करवा " | संज्ञा पुं० दे० "कडचा " । करू - वि० दे० "कडुआ " ! करूला / - संज्ञा पुं० हाथ में पहनने का कड़ा । करेजा - संज्ञा पुं० दे० "कलेजा" । करेणु - संज्ञा पुं० हाथी । करेणुका - संज्ञा स्त्री० हथनी । करेमू - संज्ञा पुं० पानी में की एक घास जिसका साग खाया जाता 1 करेर वि० कठोर । करेला - संज्ञा पुं० १. एक छोटी बेख जिसके हरे कडुए फल तरकारी के काम में आते हैं । २. माला या हुमेल की लंबी गुरिया जो बड़े दोनों बीच में लगाई जाती है । करेली - संज्ञा स्त्री० जंगली करेला जिसके फल छोटे होते हैं । करीब - संज्ञा पुं० सूखा गोबर जो करैत -संज्ञा पुं० काला फनदार सीप १०