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सुमात्रा, जावा द्वीपों में प्रा०हिं०सभ्यता


गया। मृत-राजा के पुत्र और दामाद में युद्ध छिड़ गया। इस बहुकालव्यापी युद्ध ने राज्य को तहस-नहस कर दिया। कितने ही देशांश और प्रान्त स्वतन्त्र हो गये। वे बिल्वतिक्त के चक्रवत्ती राजा के आधिपत्य से निकल गये। इसी समय देश में घोर दुर्भिक्ष भी पड़ा। उसने बची-खुची प्रजा का अधिकांश मृत्यु के सुख में पहुँचा दिया।

इसके आगे विल्वतिक्त के नरेशों का वृत्तान्त बहुत कम मिलता है। हेमऊरुफ की पौत्री सुहिता के राज्य- काल में और भी कई प्रान्त स्वतन्त्र हो गये। उसके अनन्तर उसके छोटे भाई कृतविजय ने राज्य पाया। उसने चम्पा की राजकुमारी का पाणिग्रहण किया। वह १४४८ ईसवी में मरी। इस रानी का झुकाव इस्लाम- धर्म की ओर था। अतएव उसके राज्य-काल ही में इस धर्म्म ने उसके राज्य में धीरे धीरे प्रवेश करना आरम्भ कर दिया था।

साजापिहित के अन्तिम राजा प्रा-विजय (पञ्चम) ने मुसलमानो के साथ बहुत कुछ रियायत की। पर उन्होने उसकी कृपाओ का बदला कृतघ्नता से दिया। वह १४७८ ईसवी में मरा। उसी समय से जावा में मुसलमानों का राज्य हो गया। कालान्तर में उसका नाश करके हालैंड के डचों ने जावा आदि द्वीपों को