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पुरातत्त्व-प्रसङ्ग


चालाक आदमियों ही की गुजर-बसर वहाँ हो सकती है, बेकार बैठनेवालों की नहीं। एक गाँव में एक बूढा आदमी था। वह कमाता-धमाता न था। अपनी गुज़र- बसर वह आप अपने बूते न कर सकता था। वह दूसरों के लिए भारभूत था। देवयोग से उसी गांव में एक रात को दो बच्चे मर गये। बस वहाँ वालों को मनचीता मौका मिल गया। झट बूढ़े पर यह इल्जाम लगाया गया कि इसी ने टोना-टम्बर या जादू करके बच्चो की जान ले ली है। कुछ लोग उठे और चुपचाप उस बूढ़े को पास की पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी पर ले गये। इस घटना के बाद फिर उस बेचारे का कुछ भी पता न चला कि वह कहाँ गया। उसकी क्या दशा हुई, यह बताने की ज़रू- रत नही। वह तो स्पष्ट ही है।

यदि कोई अन्य देशवासी इन लोगों का फोटो लेना चाहता है तो ये लोग केमरा को भूत समझ कर मारे डर के काँपने लगते है। बस केमरा निकला कि मिशमी हिरन होगया।

मिशमी लोग अच्छे शिकारी होते हैं। इनका सबसे प्रधान शास्त्रास्त्र धनुबीण है। पुराने जमाने की तोड़ेदार (Muzzle loading ) बन्दूकें भी कहीं कहीं किसी किसी के पास पाई जाती हैं। परन्तु वे सिर्फ शोभा के लिए हैं। शिकार का काम उनसे नहीं लिया जाता। बड़े शिकार के