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फ़ातिहा

मैंने मुस्कराकर कहा--जब से इस बुड्ढे को मारा है, तब से मेरा दिल मुझे धिक्कार रहा है।

सरदार साहब ने हँसकर कहा--क्योंकि तुमने अपने से निर्बल को मारा है।

मैंने अपनी दिलजमई करते हुए कहा--मुमकिन है ऐसा ही हो।

इसी समय एक अफ्रीदी रमणी धीरे-धीरे आकर सरदार साहब के मकान के सामने खड़ी हो गई। ज्यों ही सरदार साहब ने देखा, उनका मुँह सफ़ेद पड़ गया। उनकी भयभीत‌ दृष्टि उसकी ओर से फिरकर मेरी ओर हो गई। मैं भी आश्चर्य से उनके मुँह की ओर निहारने लगा। उस रमणी का-सा सुगठित शरीर मरदों का भी कम होता है। ख़ाकी रंग के मोटे कपड़े का पायजामा और नीले रंग का मोटा कुरता पहने हुए थी। बलूची औरतों की तरह सिर पर रूमाल बाँध रक्खा था। रंग चम्पई था और यौवन की आभा‌ फूट-फूटकर बाहर निकली पड़ती थी। इस समय उसकी आँखों में ऐसी भीषणता थी, जो किसी के दिल में भय का सञ्चार करती। रमणी की आँखें सरदार साहब की ओर‌ से फिरकर मेरी ओर आई और उसने यों घूरना शुरू किया‌ कि मैं भी भयभीत हो गया। रमणी ने सरदार साहब की

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