आसमानी ने कहा कि मैं तेरा वेश देख कर पहिलेही समझ गई थी आज कुछ है।
बिमला ने कहा "मुझको आज एक काम के लिये जाना है और अकेली रात में जा न सकूंगी अतएव तुझको संग ले चलूगीं।"
आसमानी ने पूछा "कहां?"
बिमला बोली तूंने तो पहिले इतनी बातें नहीं पूछीं थी।
आसमानी ने लजा कर कहा अच्छा तूं यहीं ठहर मैं थोड़ा काम कर के आती हूं।
बिमला ने कहा एक बात और है, तुझको कोई पहिचानता तो नहीं?
आसमानी ने पूछा, कौन?
बिमला ने कहा जैसे कुमार जगतसिंह से भेंट हो जाय तो वे तुझको पहिचान लेंगे।
आसमानी कुछ देर तक चुप रही और फिर गद गद स्वर से बोली "ऐसा कौन दिन होगा?"
बिमला ने कहा यदि हो तो?
आसमानी ने कहा 'कुमार न चीन्हेंगे तो कौन चीन्हेगा?'
बिमला बोली 'तब मैं तुझको न ले चलूंंगी और किसी को ले जाऊंगी क्योंकि अकेले तो जाऊंगी नहीं।
आसमानी ने कहा कि कुमार के देखने को बहुत जी चाहता है।
बिमला बोली फिर मैं क्या करूं, और सोचने लगी। और आसमानी मुंह पर कपड़ा लगाकर हंसने लगी।