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संवत्१६७४।


नदी ३) चन्द्रवारको रातिको नगर में आया और कारंजके कुछ मनुरबुजे अहमदावादको बड़े बूढ़ोंको दिये। वह उनको 'खाकर अचम्भेने रह गये कि दुनिया में ऐमी चामत भी होती है। क्योंकि बादशाहके कथनानुसार गुजगतमें खरबूजे बहुत खराब होते हैं।

गजातके अंगूर।

२७ (फागुन बदौ ६) गुरुवारको बकोना नामक बागीचे में बादशाहने प्यालेकी मजलिस जोड़ी, और निजसेवकोंको प्याले भर भर कर दिये। यह बागीचा राजभवनमें ही किमी गुजराती बादशाहका लगाया हुआ था और इस समय एक क्यारोमें पके हुए दाख देखकर बादशाहने कह दिया कि जिन बन्दोंने प्याले पिये हैं वह अपने हाथमे तोड़ तोड़कर दाखोंका भी खाद लें।

अहमदाबादसे मालवेको लौटना ।

१ आसफन्दार (फागन बदौ ८) चन्द्रवारको अहमदाबादी मालवे को कूच हुअा। बादशाह रुपये लुटाता हुआ कांकरिया ताल तक गया जहां डर जग थे। वहां तीन दिन तक रहा।

मुकर्रबखांको भेट।

४ (फागुन वदी १२) वृहस्पतिवार को मुकर्रबखांको भेट हुई । बादशाह लिखता है कि कोई उत्तम पदार्थ न था जिसके लेनेकी रुचि मनमें होती। उसने इसी संकोचसे यह मेट अपने बेटीको दी थी कि अन्तःपुरमें पहुंचा दें। मैंने एक लाख रुपयेके रत्न और रत्नमड़ित आभूषण लेकर शेष उसोको फेर दिये। कच्छी घोड़ोंमेंसे १०० लिये परन्तु कोई घोड़ा ऐसा न था कि जिसको प्रशंसा की जावे।

रुस्तमखांको कड़ा और नकारा।

५ असफन्दार शुक्रवार (फागुन सुदी. १३) को ५ कोस चलकर अहमदाबादकी नदी पर डेरे हुए। बादशाहने रुस्तमखांको शाह- जहांको प्रार्थनाके अनुसार जो उसने उसे गुजरातको सूवेदारी पर छोड़ते समय को थौ झण्डा नकारा सिरोपाव और जड़ाऊ , खञ्जर,