पृष्ठ:जहाँगीरनामा.djvu/२८६

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२७०. जहांगीरनामा। norma मेवे गज़क के वास्त.रजःदिये.जानें। बात होतेही तालाबों और मकानों पर चिराग और फानूस लगा दिये गये थे। बड़ी : सुन्दर दीपमालिका होगई थी। बादशाह.लिखता है. जबसे यह चाल चलो है कहीं ऐ.सी दीपमालिका, नहीं हुई होगी। सब, चिरागों और फानूमीका प्रतिबिम्ब पानी में पड़ने ऐसा प्रतीत होता था कि मानो सारा तालाब अग्निका एक मांगन बन गया है.। .. मजलिसः खूब खिली हुई थी। प्याले पौनेवालोंने अपनी रूचिसे अधिक प्याले पिये। तीन चार घड़ी रात जाने पर. मैंने सब लोगोंको विटा कारके रनवासको बुलाया और एक पहर रात तक इस सरस: स्थानमें मौज उडाई।" ____ गुरुवार और बुधवारके शुभाशुभ नाम... इस गुरुवारको कई विशेष बातें एकत्र होगई थी जैसे कि- एक तो मेरे राज्यसिंहासनारूढ़ होनेका दिन था। दूसते शब- वरात थी। तोसरे राखी थी। . . इसलिये मैंने इसका नाम मुबारकशंबा रखा और जैसा गुरुवार मेरे वास्ते शुभ हुआ वैसेही बुधवार अशुभ हुआ इससे उसका नामं कमशंचा रख दिया जिससे उता बार एथिवीमें न्य न रहे। __महासिंहके बेटे जयसिंहका आना। बादशाहने महासिंहके बेटे जयसिंहको बुलाया था वह इन्हीं दिनों में आया और हाथो नजर किया। यह बौस वर्षको अवस्था में था। । नीलकण्डको शोमा . . - २ शहरेवर गुरुवार (भादी बदौ ८) को बादशाह एक पहर तौन धड़ो दिनसे नीलकंडको गया वहांसे ईदगाहक टोलेपर आया। चम्या और दूसरे जङ्गली फूल खूब खिले हुए थे जिधर नजर पड़ती थो उधरही हरियाली और फुलवार दिखाई देती थोः। 'एक पहर रात गये. राजसवनमें आगया। .. :

  • मद्यपान के साथ साथ खानेको चटपटौ चीजें । ..