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जहांगीरनामा।

शाहने २००००० दरब उसको इनायत किये और कुछ दिन पीछे एक जड़ाऊ खपवा भी दिया।

रायमनोहरको मृत्यु।

२५ (बैशाख बदौ १२) को दक्षिणसे राय मनोहरको मृत्युका समाचार पहुंचा। बादशाहने उनके बेटेको पांच सदी जात और तौनसौ सवारीका मनसब देकर बापको जागौर भी देदी।

काबुलमें उपद्रव।

कदम नाम अफरीदी पठान खैबरकै घाटेका मार्गरक्षक था। उसने थोड़ेसे सन्दहमें सेवा छोड़कर सिर उठाया और अपने आदमी प्रत्येक थाने पर भेज दिये जिन्होंने थानेवालोंको मारकर लूट मार मचा दी। नये सिरसे काबुलके पहाड़ोंमें अशान्ति फैल गई। जब यह समाचार बादशाहको सुनाया गया तो उसने । कदमके माई हारून और बेटे जलालको जो दरबारमें हाजिर थे. पकड़वाकर ग्वालियरके किले में कैद रखनेके लिये आसिफखांको सौंपा।

भुजबन्ध।

खुश्मने ६००००) का एक लाल रानाका दिया हुआ बादशाह को भेट किया था। बादशाह उसको अपने हाथ में बांधना चाहता था परन्तु उसके आसपास पिरोनेके लिये वैसेही उत्तम मोतियोंकी जोड़ी भी दरकार थी। एक मोती तो मुकर्रबखांने बीस हजार रुपयम लेकर नौरोजको भेटमें अर्पण कर दिया था उसीके समान एक और मोतीको आवश्यकता थी। खर्रम जो बचपनमें रातदिन अकबर बादशाहके पास रहता था उसने उतनीही तौल और आकृति का मोती पुराने सरपेचमें बताया। बादशाहने सरपंच मंगाया तो वैसाही मोती निकल आया। मानो दोनो एकही सांचे में ढाले हुए थे। इससे सब लोगोंको बड़ा आश्चर्य हुआ। बादशाहने इस बातको ईश्वरको कपा समझकर बहुत धन्यवाद किया और