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संवत् १६७२।

किसीको मजा करनेकी सामर्थ्य नहीं थी। मेरी यह दशां होगई थौ कि जब नशा उतरता तो वदन कांपने लगता। हाथमें प्याला नहीं ठहर सकता था। दूसरे लोग मुझको अपने हाथसे पिलाते थे। निटान मैंने पिताके मन्त्री हकीम अबुन्न फतड़के भाई हकीम हमामको बुलाकर अपना हाल कहा। उसने अत्यन्त करुणा और भक्तिभावसे स्पष्ट कह दिया कि साहिवालम ! इस प्रकार जो आपको शगव पोते हुए ६ महीने और निकले तो फिर यह रोग अन्साध्य होजावेगा। यह बात उसने हितकी कही और जान प्यारी होती है इस वास्ते मैंने मान ली। उस दिनसे मैं अर्क घटाने और फलोनिया खाने लगा। जितनी शराब घटाता था उतनोंहों फलोनिया बढ़ती जाती थी। तब मैंने कहा कि अर्कको अंगूरी शराबमें मिला दिया करें। दो आग तो शराब हो और एक आग अक रहे। मैं इसोको पीता था और कुछ कुछ घटाता भी जाता था। सात वर्षमें ६ प्याले पर पारहा। एक प्याले में १८॥ मिसकाल' शराव होती है अब पन्द्रह वर्ष होगये इसौ ढंगसे शराब पौता हूं न कम होती है न अधिक। रातको पौता हूं परन्तु गुरुवारके दिन जो मेरे राज्याभिषेकका दिन है पिछले पहरसे पो लेता हूं, रातको नहीं पोता। क्योंकि यह रात जो सप्ताह भरको रातों में पवित्र है और एक पवित्र दिन (शुक्र) को लानेवाली है, मैं नहीं चाहता कि मतवालेपनों व्यतीत हो और सुख सम्पत्ति. देने वाले प्रभुको भजन और स्मरण में चूक पड़ जाये।

मैं गुरुवार और रविवारको मांस भी नहीं खाता। गुरुवार तो


  • जैसे बादशाहोंको जहांपनाह कहते ॥ वैसेही शाहजादीको

साहिब आलम कहते थे।

फलोनिया भंग और अफीमसे बनी हुई माजून।

एक मिसकाल ४॥ माशेका होता है १८ मिसकालके ६ तोले ८ माशे होते है ६ ग्यालेके ४०॥ तोले हुए।