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संवत् १६७१।

विशेष करके सिरको ओरसे जन्मता है और हथनीका टांगोंकी ओरसे।

बच्चे के जन्मतेही हथनी उस पर धूल डालकर प्यार करने लगी और बच्चा भी क्षण भर पीछे उठकर दूध पौने लगा।

राजा मानसिंहको.मृत्यु,।

५ अमरदाद (सावन बदी ७) को दक्षिणसे राजा मानसिंह मरनेको खबर आई। बादशाहने भावमिहको जो उसके बेटीमेंसे बहुत सुशील था बुलाया। गज्यका :अधिकारी तो हिन्दुओंको . रोति और इस घरानेको मर्यादासे राजा मानसिंहके बड़े बेटे जगत मिहका बेटा महासिंह था क्योंवि जगतसिंह बापके जीतेजी मर चुका था। परन्तु भावसिंह बादशाहको सेवामें लडकपनसे बहुत रहा था इसलिये बादशाहने उमको चार हजारी जात तीन हजार मवारका मनमब मिरजा गजाका खिताब और अजमेरका राज्य - दिया। इसके बदले में महासिंहको गढेका राज - देकर पांच सदी मनसब भी उसका बढ़ाया- घोड़ा सिरोपाव और जड़ाऊ कमरपट्टा भी उसके लिये भेजा।

बादशाहको बीमारी।

८ अमरदाद (सावन बदी १०) को बादशाहकी तबीयत खराब हुई। माथा दखने और ज्वर आने लगा। परन्तु राज्यमें विघ्न पड़नेको आशंकासे नूरजहां(१) बेगमके सिवा और किसीको अपनी दशा नहीं कही। · खुराक घट गई थी तो भी नित्य नियमानुसार दवास, आम, दीवानखाने, झरोखे और गुसलखानेमें जाता आता रहा.। निदान जब थक गया तो हकीमोंसे कहा और खाजाजी . की दरगाहमें जाकर परमेश्वरसे अपने अच्छे होनेको प्रार्थना की। प्रमाद और मन्नत मानौं तब आगम हुआ। सिरका कुछ दर्द बाकी था वह हकीम अबदुलशकूरको दवासे जाता रहा।


(९) बादशाहने नूरजहांका नाम पहले पहल यहां लिखा है अहलमें तो वह तीन वर्ष पहलेही.आँगई थी।