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जहांगीरनामा।

निकालें और उस मट्टीको उसमें भरें जो बराबर होजावे तो सम, घटे तो नष्ट और बढ़े तो श्रेष्ठ।"

मग जातिके लोग।

इसलामखांका बेटा होशंग बङ्गालसे आया। मग(१) जातिके लोगोंको भी साथ लाया था उनका देश(२) पेगू, दारजीलिङ्गके पास है बल्कि इन दिनों यह प्रदेश भी उनके अधिकारमें था।

बादशाह लिखता है कि इनके धर्म्मपन्थकी बातें निर्णय कीगई। सारांश यह है कि यह मनुष्य आकृतिके पशु हैं। जल और स्थल के सब जीवोंको भक्षण करते हैं। कोई वस्तु इनके धर्म्म निषिद्ध नहीं है। प्रत्येक मनुष्यके साथ खालेते हैं अपनी सौतेली बहनको ग्रहण करलेते हैं इनको शकलें किराकअलमाक(३) जातिके तुर्कों मे मिलती हुई हैं परन्तु बोली तिब्बतकी है जो तुरकीसे कुछ भी नहीं मिलती है। यहां एक पहाड़ है जिसका एक सिरा तो काशगरसे जामिला है दूसरा पेगूमें है। इनका कोई ठीक मत नहीं है कि जिसकी किसी मतसे तुलना कर सकें। मुसलमानी मतसे भी दूर हैं और हिन्दूधर्म्मसे भी विमुख।

बादशाह खुर्रमके घर।

मेख संक्रान्तिके दो तीन दिन रहे थे कि बादशाह खुर्रमकी प्रार्थनासे उसके घर चला गया। एक दिन एक रात रहा वहीं नौरोजको भेटें होती रहीं। खुर्रमने भी भेट की जिसमें से कुछ बादशाहने चुनकर ले ली।

मेख संक्रान्ति।

१४ फरवग्दीन (बैशाख बदी ४)(४) चन्द्रवारको मेख संक्रान्ति


(१) ब्रह्माके लोग मग कहलाते हैं।

(२) यह वृत्तान्त ब्रह्मदेशका है जो आजकल वृटिश गवर्नमेण्ट के अधिकारमें है।

(३) तुर्कोकी एक जाति।

(४) चण्डू पञ्चाङ्गमें मेख संक्रान्ति बैशाख बदी ३ को लिखी है।