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संवत् १६६९।

वास्ते मांगी थी और अब उसका व्याह था इस लिये १८ खुरदाद (जेठ बदी ९) गुरुवारको बादशाह खुर्रमके घर गया एक दिन और एक रात वहां रहा। खुर्रमने बादशाहको नजराने और बेगमों, अपनी माताओं और महलके सेवकोंको तोरे जोड़े और अमीरोंको सिरोपाव दिये।

ठट्ठा।

बादशाहने अबदुर्रज्जाकको जो ड्योढ़ीका बखशी था हाथी और परम नरम खासा देकर ठट्ठे की रक्षाके वास्ते भेजा जो मिरजा गाजीके मर जानेसे बिना खामीके था। मुअज्जुल्मुल्कको उसकी जगह बख्शी किया।

मिरजा ईसातरखां मिरजा गाजीके भाई बन्दोंमेंसे दक्षिणकी सेनामें था। बादशाहने उसको बुलाकर हजारी जात और पांचसौ सवारोंका मनसब दिया।

फसद लेना।

बादशाहको रक्त बिकार होगया था इस लिये बुधवारको हकीमोंकी सलाहसे फस्द खुलाकर सेर भर रक्त निकलवाया इससे शरीर हल्का होगया तो हुक्म दिया कि आगेसे फसद खुलानेको हलका होना कहा करें। सब ऐसाही कहने लगे।

मुकर्रबखांको जिसने फस्द खोली थी बादशाहने जड़ाऊ खपवा दिया।

राजा किशनदास।

किशनदास अकबर बादशाहके समयसे तबेले और हाथीखाने का कर्मचारी था और वर्षों से राजा पदवी तथा हजार मनसबकी उसको अभिलाषा थी सो पदवी तो पहले पाचुका था और हजारी मनसब अब देकर बादशाहने उसको इच्छा पूर्ण की।

ताजखां।

भक्करका हाकिम ताजखां पुराने अमीरोंमेंसे था बादशाहने उसके मनसबपर पांचसौ सदी जात और पांचसौ सवार बढ़ा दिये।

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