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सं० १६६६।

रानाकी लड़ाई।

४ (भादों सुदी ५) को ३७० इक्के सवार उदयपुरके लशकरको सहायताके लिये अबदुल्लहखांको दिये गये। १०० घोड़े भी सरकारी तबेलोंसे भेजे गये कि अहदियों और मनसबदारोंमेंसे जिन जिनको अबदुल्लहखां उचित समझे देदे।

लाल।

१७ (आश्विन बदी ३) को बादशाहने एक लाल साठ हजार रुपयेका परवेजको, दूसरा लाल दो मोतियों सहित खुर्रमको दिया। इनका मूल्य चालीस हजार था।

राजा जगन्नाथ।

२८ (आश्विन सुदी १) चन्द्रवारको राजा जगन्नाथका मनसब ५ हजारी जाती और तीन सौ सवारोंका होगया।

राय जयसिंह।

८ रज्जब (आश्विन सुदी ८) को राय जयसिंहका मनसब चार हजारी जाती और तीन हजार सवारोंका होगया। वह भी दक्षिण की सेनामें भरती हुआ।

शहरयार।

८ रज्जब (आश्विन सुदी १०) गुरुवारको शाहजादा शहरयार गुजरातसे हुजूर में आया।

परवेजका दक्षिण जाना।

१४ (आश्विन सुदी १५) मंगलवारको बादशाहने परवेजको खासा खिलअत, घोड़ा, खासा हाथी, जड़ाऊ पेटी और तलवार देकर दक्षिण जीतनेको भेजा। जो अमीर और सरदार उसकी सेवा में नियत किये गये थे उनको भी घोड़े सिरोपाव जड़ाऊ पेटियां और तलवारें मिली। एक हजार अहदी भी शाहजादेके साथ भेजे गये।

रानाकी लड़ाई।

अबदुल्लहखांकी अर्जी आई कि मैंने बिकट घाटियोंमें रानाका