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जहांगीरनामा।

कालसे यह चाल पड़ गई थी कि वहाँकी प्रजा अपने कुछ लड़कों को नपुंसक बनाकर मालगुजारीके बदले हाकिमोंको देदेती थी फैलते फैलते दूसरे देशोंमें भी यह चाल फैल गई। हर वर्ष कई हजार बालक नपुंसक बना दिये जाते थे। बादशाहने आज्ञादी कि अबसे यह खराब चाल बन्द हो। बालक ख्वाजेसराओंकी बिकरी रोकी जावे। इसलामखां और बङ्गालके सब हाकिमोंको लिखा गया कि अब जो कोई ऐसा कर्म्म करे उसे दण्ड दें और जिसके पास छोटे ख्वाजेसरा मिलें लेलिये जावें। जहांगीर लिखता है--"अबतक किसी बादशाहका इधर ध्यान नहीं गया था। जल्द यह कुरीति मिट जावेगी। जब ख्वाजेसराओंकी बिकरी बन्द हो गई तो कोई व्यर्थ बालकोंको नपुंसक क्यों बनावेगा?"

खानखानांको घोड़े हाथी।

समन्द घोड़ा जो शाह ईरानका भेजा हुआ था और उस समय तक उतना बड़ा और अच्छा कोई घोड़ा हिन्दुस्थानमें नहीं आया था बादशाहने खानखानांको दे दिया इससे वह बहुतही प्रसन्न हुआ। फिर फतूह नामक हाथी जो लड़नेमें अनुपम था २५ दूसरे हाथियों सहित उसको प्रदान किया।

किशनसिंह।

किशनसिंह महाबतखांके साथ भेजा गया था उसने अच्छा काम दिया। रानाके २० मनुष्य मारे और तीनसौके लगभग पकड़े। उसके भी पांवमें बरछा लगा था इस लिये उसका मनसब दो हजारी जात और एक हजार सवारोंका होगया।

कन्धार।

१४ (कार्तिक बदी १) को मिरजा गाजीको कन्धार जानेका हुक्म हुआ। उसके भक्करसे कूच करतेही कन्धारक हाकिम सरदा रखांके मरनेकी खबर पहुंची। वह बादशाहके चचा मिरजाहकीम के निज नौकरोंमेंसें था।