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जहांगीर बादशाह सं०१६६५।

खानखानां।

इसी दिन पहरदिन चढ़े खानखानां जो बादशाहका अतालीक (शिक्षक) था बुरहानपुरसे आया उसके ऊपर हर्ष और उत्साह ऐसा छाया हुआ था कि पांवसे आता है या सिरसे यह कुछ नहीं जानता था और ब्याकुलतासे बादशाहके चरणों में गिर पड़ा। बादशाहने भी दया करके उसका सिर उठाकर छातीसे लगाया और मुंह चूमा। उसने मोतियोंकी माला कई लाल और पन्ने भेट किये जिनका मोल तीन लाख रुपयेका हुआ। इसके सिवा और भी बहुतसी बस्तु अर्पण की।

बङ्गालका दीवान।

१७ जमादिउलअब्बल (द्वितीय भादों बदी ४) को वजीरखां बङ्गालके दीवानने ६० हाथी हथनियां और कई लाल कुतुबी(१) भेट किये उससे और इसलामखांसे नहीं बनती थी इसलिये बाद- शाहने उसको बुला लिया था।

आसिफखांकी भेट।

२२ (द्वितीय आदों बदी ९ तथा १०) को आसिफखांने ७ टंक , भरका एक माणिक्य जो रंग ढंग और अंगमें अति सुन्दर था और ७५ हजार रुपये में खंभात बन्दरसे मंगाया था बादशाहकी भेट किया। वह बादशाहकी जांचमें ६० हजार रुपयेसे अधिकका न था।

दलपत।

राय रायसिंहके बेटे दलपतने बड़े बड़े अपराध किये थे तोभी वह खानजहांकी सुफारिश जान बूझकर बखश दिया गया।

खानखानांके बेटे।

२४ (द्वितीय भादों बदी १२) को खानखानांके बेटोंने बादशाह की सेवामें उपस्थित होकर पच्चीस हजार रुपये भेट किये और उसी दिन खानखानांने भी ९० हाथी नजर किये।


(१) लालकी एक जाति।

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