खुर्रमका मनसब और जागीर।
बादशाहने दीवानोंको आज्ञा की कि खुर्रमको ८ हजारी जात और ५ हजार सवारों के अनुसार जागीर तो उज्जैनमें दें और सर- कार फीरोजा (१) उसकी तनखाहमें लगा देवें।
आसिफखां वजीर।
२२ (पौष बदी ९) गुरुवारको बादशाह बेगमों सहित आसिफ- खां वजीरके घर गया। रातको वहीं रहा। उसने १० लाख रुपयेकी भेट जवाहिर जड़ाऊ गहनों हाथी घोड़ों और कपड़ों आदिकी बादशाहको दिखाई। बादशाहने कुछ लाल कुछ याकूत कुछ चीनके बढ़िया कपड़े पसन्द करके लेलिये और शेष पदार्थ उसीको बख्श दिये।
लालकी अंगूठी।
सुरतिजाखांने गुजरातसे एकही लालकी बनी हुई पूरी अंगूठी भेजी जो तोलमें एक टांक और एक रत्तीकी थी। रङ्गत और घड़त भी उसकी बहुत उत्तम थी उसके साथ एक लाल भी २ टांक और १५ रत्तीका था। बादशाहको यह अंगूठी बहुत पसन्द आई। वह लिखता है कि ऐसी अंगूठी किसी बादशाहके हाथमें नहीं सुनी गई थी।
मक्का।
मक्केके शरीफ (महन्त) ने विनयपत्र और काबे(२) का परदा भेजा। बादशाहने लानेवालेको ५ लाख दाम दिये और शरीफके वास्ते एक लाख रुपयेके उत्तम पदार्थ भेजे।
कन्धार।
१४(३) रमजान (माघ बदी १) गुरूवारको कन्धारमें अच्छा
(१) हांसी हिसार।
(२) पूज्यस्थान मुसलमानोंका।
(३) मूलमें लेखके दोषसे १० लिखी है।