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जहांगीरनामा।

को भारी सिरोपाव और जड़ाऊ दवात कलम देकर वजीरका काम सौंपा। २८ वर्ष पहले अकबर बादशाहने भी इसको इसी स्थान पर मीरबखशीका पद प्रदान किया था। इसने चालीस हजार रुपयेका एक माणिक्य वजीर होनेका सलाम करते समय बादशाह को भेट किया। ख्वाजा अबुलहसन बखशी भी उसके शामिल रखा गया।

नदीमें एक सफेद पत्थर पड़ा था बादशाहने उसका हाथीं बनवाकर अपना नाम उसको छाती पर खुदवा दिया।(१)

विक्रमाजीतके बेटे कल्याणको दण्ड।

इसी दिन राजा विक्रमाजीतका बेटा कल्याण गुजरातसे आया उस पर कई दोष लगाये गये थे जिनमेंसे एक यह भी था कि एक मुसलमानी कसबनको घर में डालकर भेद छुपाने के लिये उसके मा बापको मारा और अपने घरमें गाड़ दिया। बादशाहने निर्णय करके उसकी जीभ कटवा डाली और उमरकैद करके हुक्म दिया कि कुत्ते पालनेवालों और हलालखोरोंके साथ खाना खाता रहे।

बुधको सुरखाबमें और वहांसे चलकर जगदलगमें डेरे हुए। यहां बलूतकी लकड़ी बहुत थी और रस्ते में पत्थर भी बहुत आये।

१२ (जेठ सुदी १३) शुक्रवारको आवतारीकमें १४ को यूरत बादशाहमें १५ रविवारको छोटी काबुलमें मुकाम हुआ। यहां शाह आलू गुलबहार नामक स्थानसे बहुत बढ़िया आये थे बादशाह ने १०० के लगभग खाये और कुछ अनोखे फूल भी देखे जो अबतक देखने में नहीं आये थे। "मीरमूंशा" नामक एक जानवर भी भेटमें आया जिसको आकृति गिलहरीकीसी थी। वह जिस घरमें रहता था चूहे वहां नहीं आते थे रंग काला और सफेद था। नेवले से बड़ा था सूरत बिल्लीकीसी थी। बादशाहने चित्रकारोंसे उसका


(१) ऐसाही एक बड़ा हाथी अजमेरमें भी जहांगीर बादशाहका मदार दरवाजेके बाहर एक मन्दिरमें है जिसको हाथी भाटा कहते हैं।