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जनमेजय या नाग-यज्ञ
वह आज समझ में आ गई। यदि स्त्रियाँ अपने इंगित की आहुति न दें तो विश्व में क्रूरता की अग्नि प्रज्वलित ही नहीं हो सकती। बर्वर रक्त को खौला देना इन्हीं दुर्बल रमणियो की उत्तेजना पूर्ण स्वीकृति का कार्य है। उनकी कातर दृष्टि में जो बल, जो कर्तृत्व शक्ति है, वह मानव शक्ति का सञ्चालन करने वाली है। जब अनजान में उसका दुरुपयोग होता है, तब तत्काल इस लोक मे दूसरा ही दृश्य उपस्थित हो जाता है। बेटी, क्षमा कर! तू देवी है।
मणिमाला―तो चलो बूआ, इन घायलो की शुश्रूषा करें।
मनसा―अच्छा बेटी!
[ दोनों घायलों को उठाती हैं ]
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