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पदावली

रांम नांम हिरदै धरि,निरमोलिक हीरा ।
सोभा तिहूं लोक,तिमर जाय त्रिबधि पीरा ॥ टेक ॥
त्रिसनां नैं लोभ लद्दरिं,काम क्रोध नीरा ।
मद मछर कछ मछ,हरिष सोक तीरा ॥
कांमनी अरू कनक भवर,बोये बहु बोरा ।
जन कबीर नव का हरि,खेवट गुर कीरा ।। ३२१ ।।

चलि मेरी सखी हो,वो लगन रांम राया ।
जब तव काल बिनासै काया ।। टेक ॥
जब लग लोभ मोह की दासी,
तीरथ ब्रत न छूटै जंम की पासी ॥
आवैंगे जम के घालेंगे बांटी,
यहु तन जरि बरि होइगा माटी ।।
कहै कबीर जे जन हरि रंगि राता,
पायौ राजा रांम परंम पद दाता ।। ३२२ ।।

[ राग टोडी ]

तूंपाक परमांनंदे।
पीर पैकंबर पनह तुम्हारी,मैं गरीब क्या गंदे ।। टेक ॥
तुम्ह दरियां सबही दिल भींतरि,परमांनंद पियारे ।
नैक नजरि हम ऊपरि नांहीं,क्या कमिबखत हंमारे ॥
हिकमति करैं हलाल बिचारै,आप कहांवैं मोटे ।
चाकरी चोर निवाले हाजिर,सांईं सेती खोटे ।।
दांइम दूंवा करद बजावैं,मैं क्या करू भिखारी ।
कहै कबीर मैं बंदा तेरा,खालिक पनह तुम्हारी ॥३२३।।