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पदावली

साध पुकारैं समझत नांहीं,आंन जन्म के सूते।
बांधे ज्यूं अरहट की टीडरि,आवत जात विगूते ।
गुर बिन इहि जगि कौंन भरोसा,काकै संगि है रहिये ।
गनिका कै घरि बेटा जाया,पिता नांव किस कहिये ।
कहै कबीर यहु चित्र बिरोध्या,बूझी अंमृत बांणी ।
खोजत खोजत सतगुर पाया,रहि गई आंवण जांणीं ॥ १६७ ।।

 भूली मालनी हे गोव्यंद जागते। जगदेव,
तूं करै किसकी सेव ॥ टेक ॥
भूली मालनि पाती तोड़ै,पाती पाती जीव ।
जा मूरति कौ पाती ताड़ै,सो मूरति नर जीव ।।
टांचणहारै टांचिया,दे छाती ऊपरि पाव ।
जे तूं मूरति सकल है,तौ घड़णहारे कौ खाव !!
लाडू लावण लापसी,पूजा चढ़ै अपार ।
पूजि पुजारा ले गया,दे मूरति कै मुहि छार ।।
•पाती ब्रह्मा पुहपे विष्णु,फूल फल महादेव ।
तीनि देवौं एक मूरति,करै किसकी सेव ।।
एक न भुला दोइ न भूला,भूला सब संसारा।
एक न भूला दास कबीरा,जाकै रांम अधारा ।। १८८ ॥

 सेइ मन समझि संमर्थ सरणांगता
जाकी आदि अंति मधि कोइ न पावै ।
 कोटि कारिज सरैं देह गुंण सब जरें,
नैंक जौ नांव पतिव्रत आवै ॥ टेक ॥
 आकार की ओट प्राकार नहीं ऊबरै,
सिव विरंचि भरू बिष्णुं तांईं।