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बाँसुरी यिसारो ना तो आज ना बसैगो कडू, विधि याँधि याँसुरीके : यस. करि दई हैं। 'पालमा कहै हो न्याइ नैन देखे मैन तवे कान मुनि कान्ह ऐसे तेई ठग तई हैं। चित 'अनचेते तुम ताते मुसफात ही जू, रोमि मुरझाय. के सु केती गिरि-गई हैं। घूमै लागे गाँसी.सी उसाँसनि की पास नहीं. रापरेको हाँसी है निसाँसी' और भई हैं. ॥१२॥ जेते सुर, लीने उर तेते छेद फीने. और, ..जेते, राग तेते दाग रोम रोम छीजिये। ताननि के तीखे जनु धाननि चलाइ देति, : . :: .. चीरि चीरि. अंगन , नुनीर तनु. कीजिये। अन्तर की सूनी घर सूने फरै 'सेख' कहै, मुनि मुनि.. सबद यसेरी बन लीजिये। इम ब्रज पसिह तो याँसुरी न. बसै यह, बाँसुरी,वसाय फान्ह हमें विदा दीजिये ॥१३॥ 'न्यारे रहो प्यारे अंगसंग की सगाई छाँडो, औगुन. गनैया लोग सौगुन · सुगातुई है। 'आलम' सँयोग बिनु बढ़त वियोग जेतो, - प्रीति पथ कान्ह मनु तेतो ठहरा है। १-तय संतप्त होता है। २-निसाँसो स्वांस हीन ( मतपत ) ३-सूनो = वाली । ४-सुगातु है - संदेह करते हैं।