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. परति विरोसन"ासनाई पौत्र.tr • 1:यार पार धरै थैलि जैसे परवाना है। . दिल सौदिलासा दो हाल के न ख्याल हजे, " - यानुद फकीर घाह : आंसिक देवाना है ।।२.३०॥ "दिलत तरीके घोह इसक' महरम होय,' रोसनाईको न रोड यार 'पुरनूर है। मनी की मनाही थारों तेता जीका जेती यारी, यारो यीच ख्यारी का गुमान ही गबर है। 'मालम' जुदाई ते तू कालान परि देखि, . दरद नजीक पाए. दोरु कहा दूर है ॥ सापित कदम राखि कयहँ न भूले राह, • सादक नजर, किए. हादको हजूर है ॥२७१ ॥ गम के नसीय ते गनी हे जैसे राज पाए, आसक गरीय को गुमान मनो माल यया । नाज ते निवाजिक,नजीक ही निहाल किया. जीवने की जौक में चुदाई का जवाल,श्या !. यह उस गेज से खराब हुआ खाक ही में, घर नहीं खूधी पीचं चूनी तेग स्याल क्या । । • दिल दै जुयाचे सो दिलासा भी न पाय धानों, यार दिनदार ऐमे वेदिल का हाल परा २७२ -येयुदवेमुर। २-१ महरम प्रेम का मर्ग जाननेवाला। रामारप्रकाश। ४-पुरना-प्रकाशपूर्ण। ५-~मनी- शार ६ नोकमना सदिची हादसध्चाद्यागमोपी।