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शीर्षक हिन्दी-राष्ट्र या सूबा हिन्दुस्तान
लेखक धीरेन्द्र वर्मा
अनुवादक
संपादक
वर्ष १९३०
प्रकाशक लीडर प्रेस, इलाहाबाद
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प्रगति प्रमाणित
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विषय-सूची

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हमारा हिन्दुस्तान
मानचित्र


१. राष्ट्र के लक्षण—राष्ट्र शब्द की परिभाषा; पहला लक्षण : देश सम्बन्धी एकता; दूसरा लक्षण : हानि-लाभ की एकता; तीसरा लक्षण : राज्य की एकता; चौथा लक्षण : भाषा की एकता; पाँचवाँ लक्षण : धर्म्म की एकता : छठा लक्षण : वर्ग की एकता; अन्तिम लक्षण : राष्ट्रीयता का भाव... ...

२. क्या भारत एक राष्ट्र है?—पूर्व पक्ष; भारतवर्ष में भाषा की एकता नहीं है; भारतवर्ष और शासन की एकता; प्राचीन भारत की राज्य व्यवस्था; भारतवर्ष में प्रत्येक प्रकार के हानि-लाभ की विभित्रता है; भारतवर्ष एक देश नहीं कहा जा सकता; राष्ट्रीय दृष्टि से भारत में धर्म की विभिन्नता है। भारतवर्ष में कई वर्गों के लोग बसते हैं; भारतवर्ष में वास्तविक राष्ट्रीयता के भाव का अभाव... ...

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३. हिन्दी-राष्ट्र—हिन्दी बोलनेवाले हमारे सच्चे देशवासी हैं; हिन्दी-भाषा-भाषी एक शासन में होने चाहिये; हिन्दी-भाषा-भाषियों का हानि-लाभ बहुत बातों में शेष भारत से भिन्न है; हिन्दी-राष्ट्र गंगा की घाटी
 

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में बसता है; हिन्दू-मुस्लिम समस्या; हिन्दी भाषा-भाषी एक वर्ग के हैं; राष्ट्रीय भावना को जगाना होगा .........

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४. सूबा हिन्दुस्तान—कांग्रेस द्वारा भारत को सूबों में विभक्त करने का सिद्धान्त में हिन्दी-भाषा-भाषियों के सम्बन्ध में यह सिद्धान्त भुला दिया गया; प्रान्तीय विभाग के सम्बन्ध में हिन्दी-भाषा-भाषियों का आदर्श; हिन्दी-भाषा-भाषियों का व्यवहारियों ढंग से सूत्रों मे बांटना; सूबा हिन्दुस्तान; के सूबा हिन्दुस्तान के टुकड़ करना आघात करने के बराबर होगा; हिन्दी-

भाषा-भाषियों के सोलह प्रान्त ... ...

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५ हिन्दी राष्ट्र को दृढ़ तथा स्थायी बनाने के उपाय—हिन्दी-राष्ट्र और संयुक्त प्रान्त; संयुक्त प्रान्त के नामकरण की आवश्यकता; प्रान्तीय सीमाओं का निर्धारण; हिन्दी-उर्दू की समस्या; राष्ट्रीय भाव को जगाना; राष्ट्रीय भाव को स्थायी बनने की कुंजी ...

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