(बी) यदि चल संपत्ति से संबंधित है, जहां इस तरह के हस्तांतरण के प्रतिफल की राशि या मूल्य रुपये 1,000 से अधिक नहीं है। और प्रत्येक 1,000 रुपये या उसके हिस्से के लिए 1,000 रुपये से अधिक। |
बीस रुपये बीस रुपये
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18. इस स्तर पर, हम ध्यान दे सकते हैं कि स्टाम्प अधिनियम एक कराधान क़ानून है। इस तरह के क़ानून की व्याख्या में, समरूपिक प्रतिफल लागू नहीं किए जा सकते हैं। एक कराधान क़ानून की व्याख्या उसके अनुसार की जानी चाहिए जो उसमें स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है। इस तरह के क़ानून की व्याख्या और कर का भुगतान करने के दायित्व का निर्धारण करते समय, प्रावधानों को सख्ती लागू करने की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में, कराधान क़ानून की व्याख्या करते समय शाब्दिक निर्वचन के नियम को लागू किया जाना चाहिए। इसकी व्याख्या इस्तेमाल किए गए शब्दों के प्राकृतिक संदर्भ में की जानी चाहिए। ऐसी किसी भी चीज को लागू करने की गुंजाइश नहीं है जिसका स्पष्ट रूप से उपबंधित नहीं किया गया है।
19. स्टाम्प अधिनियम की अनुसूची I के अनुच्छेद 23 के मद्देनजर, किसी हस्तांतरण पर देय स्टांप शुल्क, हस्तांतरण की तिथि पर विषयगत संपत्ति के बाजार मूल्य के अनुसार होगा, जब तक कि उसमें दिखाया गया प्रतिफल प्रचलित बाजार मूल्य से अधिक न हो। राजस्थान राज्य एवं अन्य बनाम खंडका जैन ज्वैलर्स[१] के मामले में इस न्यायालय के एक निर्णय से उपयोगी संदर्भ बनाया दिया जा सकता है। उक्त निर्णय का पैराग्राफ 18 और 19 को इस प्रकार है:
- ↑ (2007) 14 SCC 339
उद्घोषणा
"क्षेत्रीय भाषा में अनुवादित निर्णय वादी के अपनी भाषा में समझने हेतु निर्बंधित प्रयोग के लिए है और किसी अन्य उद्देश्य के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है। सभी व्यावहारिक और सरकारी उद्देश्यों के लिए, निर्णय का अंग्रेजी संस्करण प्रामाणिक माना जाएगा तथा निष्पादन और क्रियान्वयन के उद्देश्यों के लिए मान्य होगा।"