पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१३०

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भूमिका [ १७द से सहायता ली गई है | अन्य मूल तकिरों की अपेक्षा इस जीवनी में एक विशेषता यह है कि कासिम ने रचयिताओं के नाम आव्यवस्थित ढंग से नहीं रखेवरन् उन्होंने समान नाम वालों को एक साथ रखा है, उनकी संख्या बताई है और उनका व्यवस्थित ढंग से उल्लेख किया है । सरवर औौर शेट्र की अपेक्षा कासिम के लेख संख्या में कमकिन्तु अधिक विकसितहैं, और उनमें ऐसी बातें और उद्धरण हैं जो अन्य में नहीं पाए जाते । ५५, ‘मजमुआ-ह बात-बासोह्नतों का संग्रह, विभिन्न कवियों की इस प्रकार की इक्कीस कवितानों का संग्रह, जो ६८ फ़ोलियो पृष्ठों की, १२६१ ( १८४६ ) में लखनऊ से मुद्रितछोटी-सी जिल्द है, और जिसके मार्जिन पर ठ दिया हुआ हैं । ५६. मजालिस रंगीन’ सुन्दर मजलिसें अथवा रंगीन (रचयिता क। नाम ) को मजलि स; सामयिक कविता और उसके रचयिताओं को आलोच- नात्मक समीक्षा। ५७‘मसरत आफ़ज़ा--ख़ुशी की वृद्धि, इलाहाबाद के अबुलहसन कृत 1 स्वर्गीय नाथ कृत इस तज़किरे की एक व्याख्या मेरे पास थी । ब्लैंड (Bland ) ने कृपा कर सर डब्ल्यू’ आउबले (Ouseley) की हस्तलि खित प्रति के आधार पर मेरे लिए एक प्रति तैयार करा दी थी और जो आजकल श्रॉक्सफ़र्ड में है । ५८. ‘मुअर उश्शु’ था'-कवियों का उत्साह 1 यह प्राचीन तथा आधुनिक रचयिताओं की काव्यरचनाओं का संग्रह है, जो कमर ( मंशों कमर उद्दोग गुलात्र वाँ ) द्वाराआगरे से महीने में दो बार प्रकाशित होता है। ५७. मुक्तसर अहाल मुसन्निफ़ान हिन्दी के तस्करों का हिन्दी जोवनियों से संबंधित संक्षिप्त सूचनाएँ : रिसाला दर बाघ-इ तजकिरों का शीर्षक भी है । जीवनियों संबंधी पत्र, दिल्ली के जकाउल्लाह कृत यह छोटीसी रचना मेरी ‘फंदूस्तानी ऐ ल्यूर आवर’ ( हिन्दुस्तानी के ग्रंथकार और उनकी रचनाएँ ) का अनुवाद मात्र है ।