मैंने आपके सामने ऐसा ही कार्यक्रम रखा है जो मेरी राय में सर्वोत्तम है और जिसे जल्दी से जल्दी पूरा किया जा सकता है। अधीरसे-अधीर खिलाफती भाई भी इससे अच्छा कार्यक्रम तैयार नहीं कर सकते। ईश्वर आपको ऐसा स्वास्थ्य और विवेक प्रदान करे कि आप देशको अपने निश्चित ध्येयतक पहुँचाने में समर्थ हों।[१]
हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी
- अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ७९९१) की फोटो-नकलसे।
४१. पत्र : कृष्णदासको
[साबरमती जेल]
रविवार, १२ मार्च, १९२२
सभी पत्र और रिपोर्ट आदि तुम्हारे पास भेजी जानी चाहिए। तुम्हीं उनकी व्यवस्था करोगे।
अगर यह काम तुम्हारे लिए बहुत ज्यादा न हो तो सारे लेख भी अन्तिम रूपमें तुम्हारे हाथोंसे ही गुजरने चाहिए।
मेरे पास सम्पादक के लिए कई नाम हैं—सतीशबाबू[३], राजगोपालाचारी[४], तुम, शुएब[५], काका[६] तथा देवदास[७]।
अच्छा होगा कि अब सतीशबाबू तुम्हें लेखोंपर हस्ताक्षर करनेकी अनुमति दे दें।
कमरा पूरी तरह तुम्हारे पास रहना चाहिए। बरामदेका दरवाजा तुम्हें अन्दरसे बन्द करके ताला लगा लेना चाहिए। पूरा दफ्तर वहीं जमाओ। हार्डीकर[८] और 'बुलेटिन' के कर्मचारी यदि वहाँ रहें या काम करें तो तुम्हारी अनुमतिसे।
- ↑ हकीम अजमल खाँने इसका उत्तर १७ मार्चको दिया था; देखिए परिशिष्ट १।
- ↑ कृष्णदास, गांधीजी उन्हें इसी नामसे पुकारते थे; सेवन मन्थ्स विद महात्मा गांधीके लेखक।
- ↑ सतीशचन्द्र मुखर्जी; कृष्णदासके गुरु; बंगाल नेशनल कालेजके भूतपूर्व प्रिंसिपल तथा कलकत्ते की डॉन पत्रिकाके सम्पादक।
- ↑ चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (जन्म १८७९)।
- ↑ शुएब कुरेशी, न्यू एराके सम्पादक।
- ↑ दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर (जन्म १८८५); काका साहबके नामसे विख्यात।
- ↑ देवदास गांधी।
- ↑ डा॰ एन॰ एस॰ हार्डीकर, कर्नाटकके कांग्रेसी नेता और हिन्दुस्तानी सेवा दलके प्रधान।