रसकलस १७४ पति के भेद पति पाँच प्रकार के होते हैं--१-अनुकूल, २-दक्षिण, ३-धृष्ट, ४-शठ और ५-अनभिज्ञ । अनुकूल जो पुरुष एक ही विवाहिता पनी में अनुराग रखकर दूसरी की कामना नहीं रखता उसको अनुकूल कहते है। सवैया-- -- लखि प्यारी तिहारी मनोहरता सुर की वनिता हुँ सराहैं नहीं। मन - मोहनी आनि मिले हूँ कवौ अपने मन मॉहि उमाहै नहीं। 'हरिऔध' विहाइकै प्रेम तिहारो कछू हम और विसा नहीं। तव आनन छोरि के पान कळू अखियान विलोकन चाहँ नहीं ||१|| दक्षिण अनेक स्त्रियों पर समान स्नेह रखनेवाले पति को दक्षिण कहत हैं। सवैया-- हम ऐसे अजों अवलोके नहीं अलकावलि पेच परे जे नहीं। जग में जनमे जन ऐमे कहाँ या उरोजन ओर ढरे जे नहीं। 'हरिप्रीध' न से मुने छिति में छवि नीको निहारि छरे जे नहीं । ए बडी बडी प्रॉस बधूटिन की गडि जात है काके करेजे नहीं ||१|| घृष्ट जात अपमानित होकर भी जो लजित नही होता और चाटुकारी करता ३ उस अपर पनि त ट पहने हैं।
पृष्ठ:रसकलस.djvu/४२१
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/4/44/%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%B8.djvu/page421-997px-%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%B8.djvu.jpg)