पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/३९३

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क्रीन्हा अगिन यौन पर भाँत भाँति संसार अनि सब महँ मिलि हा को निगह पर हैं। इस समय के अन्य कार्वगण नाम-- १८८) नाम । उन्माद्ध–१६३ ।। रचनाकाख-१६४६ । विन्याहोन अंदी ! नाम- १८९ } मल्लख अधूर मिश्र के पुत्र । अंथ-( ३ ) भावद्रिको ६ गैसोविंद अतिबिंब }, {२}। - माश्वमेध--३०३१ । सनाकारू-१६४६ | शुभम टो नं० १५ विक्र—सधुरा । उद्धछा-नरेश महा भकुकर शाह दाम--{ ३६०) नैनसुख वैज्ञा केशवदास के पुत्र ग्रंथ-वैसस पृ० १ १० : . चिदानंद--१६४६ ।। क्रि—-साधारण अंड! | ज १३०६ तथा १९०३ । नाम-{१६}} अगर ।। विक्रअद्वैतरस की दिदा ॐ ॐ ॐ साधक्ष श्रेष्ट्री के है । नाम----{१६} कुंडल्या गस्तैः ।। यहाकाल-4 $५० के झगडे, विखु--रथावल व ॐ अवार्य ।। नाम--{ १६३ } श्मालुद्दीन पिहानः ।।