जी की पुस्तक । ५४। और मगारात और बैनथनात और इस्लकन छः नगर उन के गांत्रो समेत। ६.। वारय बल जो करयतधराम और रा है दा नगर उन के गा महिन॥ ६१ । अपय में बेतुल पर यमदीन और सकाकः। ६२ । और विशन बार लेन का : गर बार ऐनजदीक मगर उन के गावों ममेव ॥ ६३ । परंतु यम। जोय यरूमलम में रहते धं मे उन्हें यहाह के संतान दूर न कर सक परतु यमा यदाह क मंतान के साथ आज के दिन लो यरूमरूम में रहते हैं। १६ सोलहवां पर्य। पर यमुफ के संज्ञान की चिट्टी यरदन से यरह के पास निकल के यह के पानी के पूर्व जा है चार उम बन लो जो यरह से बैतएल पहाड के और पार को जाता है। २। और नएल से निकल के लोग का जाके अरको के सिवानों का अतरात के पास चला ॥ भैर पश्चिम दिशा से यफलती के नौर को जाना है मोच को और वैतहौरान के दौर को और जजर लो पहुंचता है और उस के निकाम ४ । सो यूसुफ के संतान मुनरखी और इफरायम ने अपना अधिकार लिया। ५। और दूफरायम के संताग का सिवाना उन के घरानों के समान यह था अर्थात् उन के अधिकार का सित्र.ना एवं का और अतरात अदार से ऊपर के नहारान के गया। ६। और मिवाना निकल के समुद्र की ओर उत्तर दिशा में मिकमतात को किका द्वार सिवाना पूर्थ की और जानतशीलोह का गया और उस के पर्व का हाक यनूहा का गया। ७। और अनुहा से श्रुतरान का और नारात का और यरीहू का भाया और यरदन पास जा निकला। ८. पश्चिम का सिमाना तुपाफा ह से कन की नदी को और उस के निकाप समुद्र का हैं फरायम के सतान की गाठो का अधिकार उन के घराना । और इफरायम के संतान के लिये अलग अलग नगर मुनरमी के संतान के आकार में थ सारे नगर उन के गांवों सहित । २.। और उन्हों ने इन कनानियों को जो जजर में रहते थे दूर न समुद्र में हैं। समान
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